नीमच: नीमच शहर की जनता का पेयजल का पानी उद्योगों को बेचा जा चुका है । नीमच में जलसंकट चरम पर है। नगर पालिका पेयजल स्रोतों में पानी की कमी बता कर 3 दिन में पानी सप्लाई कर रही है जिससे जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी और शासन ने पहले ही नीमच की जनता के हक का पानी उद्योग फैक्ट्रीयों को बड़ी राशि लेकर आवंटित कर दिया है । नीमच शहर की जनता के हक के पानी का सौदा जनप्रतिनिधियों की नाक के नीचे उनकी जानकारी में किया गया, पर उन्होंने समय रहते ध्यान नहीं दिया, जिसका नतीजा है कि नीमच शहर में पेयजल संकट गहरा गया है।
कांग्रेस नेता व जिला पंचायत सदस्य तरूण बाहेती ने तथ्यों के आधार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों की अदूरदर्शिता से नीमच की जनता को प्यासा मारा जा रहा है। उन्होंने बताया की जाजू सागर बांध के खाली होने के बाद नीमच शहर की पेयजल सप्लाई ठिकरिया बांध ( शिवाजी सागर) से होना थी। लेकिन अल्पवर्षा होने के बाद भी ठिकरिया डेम का पानी पेयजल के लिए अधिक आरक्षित नहीं रख कर बड़ी मात्रा में पानी धानुका इंडस्ट्रीज को देकर जनता को संकट में डाल दिया है। इस वर्ष जितना पानी धानुका इंडस्ट्रीज को दिया है उतने पानी से तो नीमच शहर की 110 दिन पानी की सप्लाई हो सकती थी । कांग्रेस नेता बाहेती ने बताया की ठिकरिया डेम की कुल जीवित जल भराव क्षमता 16.56 एमसीएम है, जिसमें नियमानुसार पानी का आवंटन किया जाता है । जिसमें 10.25 एमसीएम पानी सिंचाई हेतु किसानों के लिए आरक्षित है,जबकि 3.00 एमसीएम पानी नगरपालिका नीमच, 2.00 एमसीएम पानी औद्योगिक क्षेत्र झांझरवाड़ा के लिए रखा गया था । नियमानुसार इसके अतिरिक्त अपनी किसी को नहीं दिया जा सकता था, किंतु नियमों के विपरीत जाकर जल संसाधन विभाग भोपाल ने वर्ष 2022 में 0.365 एमसीएम पानी धानुका बायोटेक व 0.1825 एमसीएम पानी धानुका सोया प्लांट देने का करार जल संसाधन विभाग ने कर दिया । इस करार के पश्चात शिवाजी सागर की कुल जल भराव क्षमता का 95% जल वितरण किया जा चुका था। श्री बाहेती ने बताया कि जलसंसाधन विभाग ने हाल ही में 12 जून 2023 को एक नया करार करते हुए धानुका बायोटेक एवं धानुका सोया को दिए जा रहे पानी 0.547 एमसीएम को तीन गुना बढ़ा कर 1.642 एमसीएम पानी आवंटित करने का अनुबंध कर दिया। इस अनुबंध के पश्चात हालात यह है कि ठिकरिया बांध की जीवित जल भराव क्षमता से भी अधिक का पानी का करार धानुका से कर लिया है,जिसका भुगतान भी धानुका इंडस्ट्रीज ने कर दिया है । सीधे तौर पर नीमच शहर की जनता के हक के पानी का सौदा जल संसाधन विभाग ने निजी इंडस्ट्रीज को कर दिया है। अब ठिकरिया बांध में सिर्फ डेड वाटर (मृत ज़ल) ही बचा है जिसे नीमच की जनता को पेयजल दिया जाएगा। नीमच नगर को पानी सप्लाई के दिन 1.5 एमएलडी पानी यानी डेढ़ करोड़ लीटर पानी की आवश्यकता होती है और एक एमसीएम में 100 करोड़ लीटर पानी होता है। कांग्रेस नेता बाहेती ने कहा कि जिस तरह धानुका इंडस्ट्रीज को 10 इंची पाइपलाइन बिछाकर पानी दिया गया है तो उसी तरह नीमच में स्थित अडानी विलमेयर या अन्य सोयाबीन प्लांट भी पानी की मांग कर सकते हैं तो शासन उन्हें अब कैसे मना करेगा । जब एक उद्योग को पानी दिया है तो दूसरे को भी देना ही पड़ेगा ऐसे में नुकसान शहर की जनता और किसानों का ही हो तय है। श्री बाहेती ने कहा कि पानी जरूरी मूलभूत सुविधा है । पानी शासन प्रशासन को किसी भी परिस्थिति में पेयजल सप्लाई करना अत्यंत आवश्यक है। डेम के पानी का उपयोग पहले पेयजल में होना चाहिए उसे पहले फैक्ट्रियों को बेचा जा रहा है। ऐसे में अब आने वाले गर्मी के मौसम में जल संसाधन विभाग ठिकरिया डेम के डेड वॉटर की सप्लाई करेगा,जो बांध में रहने वाले जलीय जंतु को तो खत्म करेगा ही साथ ही बांध को लीकेज कर सकता है एवं जनता को भी गन्दा पानी मिलने की संभावना है। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि विधायक, नगरपालिका अध्यक्ष सहित सभी जनप्रतिनिधियों को इसकी जानकारी है जब पानी का आवंटन हुआ उसी समय समुचित ध्यान दिया जाता तो आज नीमच में पेयजल का संकट नही होता । बाहेती ने कहा कि वैसे तो उद्योगों को जल का आवंटन डेड वाटर से किया जाता है किंतु धानुका इंडस्ट्रीज ने अपने लिए आवंटन पानी में से 90 फ़ीसदी पानी तो जीवित जल से ही ले लिया है।
जितने अनुबंध का दावा डेम में उतना पानी ही नहीं, बल्कि सिर्फ डेड वाटर :- कांग्रेस नेता बाहेती ने कहा कि नीमच नगरपालिका अब ठिकरिया डेम से अनुबंध के तहत 5 एमसीएम पानी लेने की बात कर रही है, लेकिन वर्तमान में ठिकरिया डैम में जीवित जल भराव तो सिर्फ 2.13 एमसीएम ही बचा है जिसमें से भी धानुका एवं अन्य इंडस्ट्रीज को अनुबंध के अनुसार प्रतिदिन लाखों लीटर पानी दिया जा रहा है । इसके बाद वहां सिर्फ डेड वाटर ही बचेगा। नगरपालिका अब ठिकरिया डेम से डेड वाटर पानी की सप्लाई करेगा जिससे गंदा पानी आने की संभावना बढ़ेगी एवं डेम में जलीय जीव जंतु भी खत्म हो जाएंगे । अभी तो गर्मी की शुरुआत हुई है एवं वर्षाकाल आने में 5 माह का समय शेष है ऐसे में पेयजल की पूर्ति कैसे होगी ये बड़ा सवाल है । बाहेती ने कहा कि सितंबर 2023 में जल समिति नीमच की समीक्षा बैठक में वार्षिक पानी का आवंटन तय किया गया था। सर्व विदित है कि इस बार अल्प वर्षा हुई और ठिकरिया डैम सिर्फ 60% ही भराया है उसके बावजूद भी धानुका एवं अन्य औद्योगिक इकाइयों को आरक्षित पानी से भी ज्यादा अधिक पानी इंडस्ट्री को हेतु आवंटन कर दिया गया था जो पूर्णतया गलत था । उसी बैठक में पहले नीमच की जनता के हितों का ध्यान रखना था । बाहेती ने कहा कि उनका धानुका इंडस्ट्रीज या अन्य किसी भी उद्योग को पानी देने का विरोध नहीं है मगर धानुका इंडस्ट्रीज को अगर पानी देना था तो औद्योगिक क्षेत्र के लिए आरक्षित पानी में से ही दिया जाना उचित था । बाहेती ने नीमच जिला कलेक्टर दिनेश जैन से मांग की है कि नीमच की जनता के हित में ठिकरिया डेम के जल आवंटन की पुनः समीक्षा कर पहले नीमच की जनता को पेयजल दिलाया जाए उसके बाद अगर पानी बचे तो उसे उद्योग को दिया जाए। बाहेती ने कहा कि इस मामले में जनप्रतिनिधियों से उम्मीद करना ही बेकार है अब जनता को ही आगे आकर अपनी लड़ाई लड़नी पड़ेगी।