नागरिकता अधिनियम की धारा-6ए के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि आखिर देश की सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए क्या कदम उठाए हैं? सीजेआई डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि यदि हम धारा 6ए की पुष्टि करते हैं तो 1971 के बाद हमने क्या किया है? पीठ के जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि आप पश्चिम बंगाल जैसे अन्य राज्यों में आमद का प्रस्ताव कैसे देते हैं?
सीजेआई ने कहा कि हम कोई सत्तावादी देश नहीं हैं और हमें कानून के शासन के अनुसार, चलना होगा और यदि इसका पालन नहीं किया गया तो वास्तविक लोगों को बाहर निकाला जा सकता है. सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कर रही है कि यह एक अभेद्य सीमा है और क्या कार्यकारी कदम उठाए गए हैं. क्या निवेश किया गया है और सीमा पर बाड़ लगाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
सीजेआई ने कहा कि मैं जानता हूं कि आप एक जटिल मुद्दे से निपट रहे हैं, क्योंकि आप ऐसे लोगों से निपट रहे हैं जिनकी खान-पान की आदतें, पहनावा समान, शारीरिक विशेषताएं समान हैं. वहीं सॉलिसिटर जनरल (एसजी) ने कहा कि बिल्कुल यह समान है और केंद्र सभी कदम उठा रहा है ताकि कोई अवैध प्रवास ना हो. सीजेआई ने कहा कि इन सबसे परे हम जानना चाहते हैं कि पश्चिम बंगाल को नागरिकता देने से बाहर क्यों रखा गया? तर्क यह नहीं हो सकता कि असम में आंदोलन था. पश्चिम बंगाल को अकेला क्यों छोड़ दिया गया? अब पश्चिम बंगाल में क्या स्थिति है ? एसजी ने कहा कि इन पहलुओं पर हम एक हलफनामा दायर करेंगे.
सीजेआई ने कहा कि सीमा की सुरक्षा के लिए केंद्र क्या कर रहा है? सीमा पर बाड़ लगाई जा रही है और सीमा पर कितनी दूरी तक बाड़ लगाई गई है. गृह सचिव को भी इस पर अपना दिमाग लगाना चाहिए.
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नागरिकता अधिनियम की धारा 6 A की वैधता पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि
1 – सरकार बार्डर को सुरक्षित बनाने के लिए क्या कदम उठा रही है?
2 – बॉर्डर के कितने एरिया में तार का बाड़ किया गया है. कितना निवेश सरकार ने इस बारे में किया है?
3- 6 A के तहत सिर्फ असम में ही आने वाले बांग्लादेशियों के लिए क्यों भारतीय नागरिकता का प्रावधान किया गया. पश्चिम बंगाल जैसे दूसरे राज्य को क्यों छोड़ दिया गया?
4 – क्या सरकार के पास ऐसा डेटा उपलब्ध है कि बांग्लादेश से असम आने वाले लोगों की तादाद पश्चिम बंगाल की अपेक्षा ज्यादा थी?
असम में कितने फॉरेन ट्रिब्यूनल है?
– ट्रिब्यूनल के सामने कितने केस पेंडिंग है?
– 1 जनवरी 1966 से पहले असम आने वाले कितने प्रवासियों को भारत की नागरिकता मिल पाई?
– जनवरी 1966-71 के बीच बाग्लादेश से असम आने वाले कितने प्रवासियों को भारत की नागरिकता मिल पाई?
– 25 मार्च 1971 के बाद कितने लोग बांग्लादेश से असम आये?
– जो 1971 के बाद असम आये, उन्हें वापस भेजने के लिए क्या कदम उठाए.
कोर्ट ने सरकार से इन सवालों पर हलफनामा दाखिल करने को कहा है. शुक्रवार और शनिवार तक सरकार को हलफनामा दाखिल करना है. सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने 6A के चलते प्रवासियों की बड़ी संख्या के चलते राज्य की जनसांख्यिकी संतुलन बिगड़ने, मूल निवासियों के रोजगार घटने, उनके संसाधनों पर कब्जा होने को लेकर जो चिंता जाहिर की है. वो सही हो सकती है पर 6A को असंवैधानिक करार देना इसका समाधान नहीं है. एसजी मेहता ने कहा कि 6A का दायरा सीमित है. ये प्रावधान एक खास वक़्त में एक राज्य विशेष (असम) में एक देश विशेष (बांग्लादेश) आने वाले प्रवासियों के लिए है.
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Tags: Supreme Court
FIRST PUBLISHED : December 7, 2023, 13:39 IST