चीन में फैला है वॉकिंग निमोनिया, चलता-फिरता रहता है मरीज, डॉ. मनाली से जानें, व्‍हाइट लंग सिंड्रोम से कितना है अलग

हाइलाइट्स

चीन में हजारों की संख्‍या में रहस्‍यमयी निमोनिया से ग्रस्‍त बच्‍चे अस्‍पतालों में हैं.
माइकोप्‍लाज्‍मा निमोनिया सामान्‍य पैथोजन है और नया बैक्‍टीरियल इन्‍फेक्‍शन नहीं है.

Walking Pneumonia: पिछले कुछ दिनों से चीन में फैल रहे रहस्‍यमयी निमोनिया को व्‍हाइट लंग सिंड्रोम भी कहा जा रहा है. बीमारी का यह नाम एक्‍स रे के नतीजों के आधार पर रखा गया है. इसके अनुसार एक्‍सरे में मरीज के फेफड़ों का रंग या तो पूरा सफेद हो चुका होता है या उसमें सफेद रंग के पैच आ चुके होते हैं. ऐसा कई कारणों से हो सकता है लेकिन दिलचस्‍प बात है कि मेडिकल साइंस में व्‍हाइट लंग सिंड्रोम नाम से कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह एक टर्मिनोलॉजी है, जिसे इस बीमारी के लिए इस्‍तेमाल किया जा रहा है.

ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नई दिल्‍ली में माइक्रोबायोलॉजी विभाग में सीनियर रेजिडेंट डॉ. मनाली अग्रवाल की मानें तो चीन में जो निमोनिया बच्‍चों में फैल रहा है वह व्‍हाइट लंग सिंड्रोम नहीं है बल्कि बैक्‍टीरिया के द्वारा फैल रह माइकोप्‍लाज्‍मा निमोनिया है, जिसे वॉकिंग निमोनिया भी कह सकते हैं. जिसका पैथोजन नया नहीं है, यह कॉमन है. हालांकि चीन में इसके साथ अन्‍य वायरस जैसे आरएसवी या इन्‍फ्लूएंजा भी शामिल हो सकते हैं.

क्‍या है वॉकिंग निमोनिया?
डॉ. मनाली बताती हैं कि माइकोप्‍लाज्‍मा निमोनिया बैक्‍टीरिया की वजह से रेस्पिरेटरी सिस्‍टम के हल्‍के इन्‍फेक्‍शंस होते हैं. इस बीमारी में मरीज को इलाज की जरूरत तो पड़ती है लेकिन यह माइल्‍ड होता है और बीमारी के बावजूद मरीज चलता-फिरता रहता है. इसी वजह से इसका नाम वॉकिंग निमोनिया पड़ा है.

कैसे फैलता है?
माइकोप्‍लाज्‍मा निमोनिया या वॉकिंग निमोनिया का संक्रमण एक से दूसरे बच्‍चे या व्‍यक्ति में खांसने, छींकने के कारण बनी ड्रॉपलेट के संपर्क में आने से फैलता है. अगर कोई स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति इन ड्रॉपलेट्स के बीच में सांस लेता है तो वह संक्रमित हो सकता है. यह बीमारी खासतौर पर भीड़भाड़ वाली जगहों जैसे स्‍कूल, कॉलेज रेजिडेंस हॉल, मिलिट्री ट्रेनिंग सुविधाओं, लंबे समय से दी जा रही केयर फैसिलिटीज और अस्‍पतालों के माध्‍यम से फैलता है.

ये हैं लक्षण?
चूंकि यह एक सामान्‍य इन्‍फेक्‍शन है ऐसे में इसके लक्षण हैं गले में दर्द, कमजोरी, बुखार, धीरे धीरे बढ़ती खांसी जो कई हफ्तों और महीनों मे रह सकती है, सिरदर्द आदि. 5 साल से छोटे बच्‍चों में छींकें, उल्‍टी, आंखों से पानी आना, नाक बहना और डायरिया के लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं. इसके अलावा निमोनिया के लक्षण जैसे सांस लेने में कठिनाई और ठंड लगने की परेशानी भी हो सकती है.

बच्‍चों के लिए खतरनाक है वॉकिंग निमोनिया?
डॉ. मनाली अग्रवाल कहती हैं कि सिर्फ चीन ही नहीं बल्कि भारत में भी माइकोप्‍लाज्‍मा निमोनिया के मामले आते रहे हैं. इसकी मृत्‍यु दर ज्‍यादा नहीं है. इससे संक्रमण फैल सकता है लेकिन मौतें नहीं होतीं. यह क्‍यूरेबल है. माइल्‍ड निमोनिया में बिना एंटीबायोटिक इलाज संभव है वहीं गंभीर होने पर डॉ. एंटीबायोटिक देते हैं.

वॉकिंग निमोनिया और लंग सिंड्रोम में अंतर
डॉ. मनाली कहती हैं कि व्‍हाइट लंग सिंड्रोम कई कारणों जैसे, एक्‍यूट रेस्पिरेटरी डिस्‍ट्रैस सिंड्रोम (ARDS),वायरल इन्‍फेक्‍शन जैसे इन्‍फ्लूएंजा, रेस्पिरेटरी सिंकीसियल वायरस, कोरोना, बैक्‍टीरियल इन्‍फेक्‍शन, फंगल इन्‍फेक्‍शन और नुकसानदेह चीजों जैसे धूल, धुआं और कैमिकल को इन्‍हेल करने से भी हो सकता है.

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