गुरु पूर्णिमा आज, जानें मुहूर्त, पूजा विधि और धार्मिक महत्व

देश: सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा का त्योहार गुरु और शिष्य के प्रेम, विश्वास, श्रद्धा-भाव और पवित्र रिश्तों का प्रतीक माना जाता है। गुरु पूर्णिमा के पर्व को वेद पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के नाम से भी मनाया जाता है। आज आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के नाम से मनाई जाती है। हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। इस तिथि से आषाढ़ का महीना खत्म हो जाता है और सावन का महीना प्रारंभ होता है। सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा का त्योहार गुरु और शिष्य के प्रेम, विश्वास, श्रद्धा-भाव और पवित्र रिश्तों का प्रतीक माना जाता है। गुरु पूर्णिमा के पर्व को वेद पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के नाम से भी मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा पर गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए पूजा और आशीर्वाद लिया जाता है। दरअसर जीवन में गुरु ही व्यक्ति को अज्ञानता के अंधकार से बाहर निकालकर प्रकाश की तरफ ले जाता है। भगवान विष्णु के अंश वेदव्यासजी के बिना गुरु पूजा पूरी नहीं होती। इसलिए इस दिन सबसे पहले गुरु महर्षि वेदव्यास की पूजा करनी चाहिए फिर अपने अलग-अलग गुरुओं की पूजा करनी चाहिए। आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा का महत्व, पूजाविधि, शुभ योग सहित अन्य कई जानकारियां। 

गुरु पूर्णिमा 2024 तिथि :-हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा के त्योहार का विशेष महत्व होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 20 जुलाई को शाम 5 बजकर 59 मिनट पर शुरू हो चुकी है, जिसका समापन 21 जुलाई को दोपहर 3 बजकर 46 मिनट होगा। उदया तिथि के अनुसार गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को मनाई जा रही है। 

गुरु पूर्णिमा 2024 पूजा शुभ मुहूर्त :- आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। अगर गुरु पूजन के शुभ मुहूर्त की बात करें तो आज पूरे दिन दिन गुरु पूजन का दिन रहेगा। 

गुरु पूर्णिमा पर आज बना दुर्लभ संयोग :- आज 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर बहुत ही अच्छा और दुर्लभ संयोग बना हुआ है। गुरु पूर्णिमा पर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, विष्कुंभ और प्रीति योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग बना हुआ है। 

गुरु पूर्णिमा पूजा विधि 2024 :- गुरु पूर्णिमा के दिन जल्दी सुबह उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर नदी में स्नान संभव न हो तो नहाने के पाने में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर स्नान करें। फिर इसके बाद साफ सुथरे कपड़े धारण करते हुए एक तांबे के लोटे में जल, अक्षत, पुष्प और रोली को डालकर सूर्यदेव को अर्ध्य दें। फिर इसके बाद पहले गुरु वेदव्यास की पूजा का संकल्प लेते हुए उनका मन में ध्यान करें। इसके बाद सभी देव-देवताओं के समाने अपने गुरु की प्रतिमा को रख उनका तिलक करते हुए विधिवत पूजन-अर्चन करें। अगर आपके आसपास आपके गुरु रखते हैं तो उनके घर जाकर उनका चरण स्पर्श करते हुए पूजा और आरती उतारे फिर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

गुरु पूर्णिमा का महत्व :- शास्त्रों और पुराणों में गुरु की महिमा और आराधना करने का विशेष महत्व बताया गया है।  

गुरुर्ब्रह्राा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरु: साक्षात् परं ब्रह्रा तस्मै श्री गुरवे नम: ।।

गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय,
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।

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